यह मित्रवत सुझाव जैसा है. पर केवल वाह-वाह करना भी रचनात्मक नहीं है.
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यह मित्रवत सुझाव जैसा है. पर केवल वाह-वाह करना भी रचनात्मक नहीं है.
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दाद देना या वाह-वाह करना प्राय: अवचेतन का अभ्यासजन्य कौशल होता है।
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हमारे जैसे कमअक्ल का काम तो है बस अच्छा-अच्छा पढ़ना और वाह-वाह करना..
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समस्या की सच्ची तस्वीर समीर जी ने खींच दी, तो हम सबको वाह-वाह करना ही पड़ेगा।
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समस्या की सच्ची तस्वीर समीर जी ने खींच दी, तो हम सबको वाह-वाह करना ही पड़ेगा।
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अब कोई किसी विद्वान की बात सर झुका कर सुनना और वाह-वाह करना चाहता है तो क्या बुरा है..?...
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अब कोई किसी विद्वान की बात सर झुका कर सुनना और वाह-वाह करना चाहता है तो क्या बुरा है..?...मैं तो आदर से सिर्फ वाह ही कहना चाहता हूँ...वाह! क्या गज़ल पढ़ी आज.